नींद न जाने क्यों आजकल खफा खफा है दर ओ दीवारों से गुम हो चुकी वफ़ा है। नींद न जाने क्यों आजकल खफा खफा है दर ओ दीवारों से गुम हो चुकी वफ़ा है।