वह चली गई
वह चली गई
कल तक जो बहुत बोलती थी,
आज वह मौन पड़ी है।
कल तक जिसकी अहमियत नहीं थी,
आज उसकी कमी खल रही है।
कल तक जिसकी बोली जहर थी,
आज उसकी चुप्पी तीर बन गई है।
कल तक जिसकी कदर नहीं,
आज वह दिल से नहीं निकल रही है।
कल तक जो बचत करती थी,
आज वही गृहलक्ष्मी चली गई है।
अब रोने, पछताने से क्या होगा,
आज तो वह हमेशा के लिए ,
सुकून की नींद सो गई है।
