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Nadhia Gupta

Crime

4.1  

Nadhia Gupta

Crime

अजन्मी बेटी

अजन्मी बेटी

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"मैं एक अजन्मी बेटी बोल रही हूँ,

 सिसक सिसक कर दुःख फ़ोल रही हूँ,

 माँ बाप की सजा़ मैं भोग रही हूँ,

 इसीलिए कत्ल का राज़ खोल रही हूँ "


सुनो, इक दिन मेरा वज़ूद सामने आने लगा 

मेरे माँ बाप का तिलमिलाने लगा ।

 

रोज़ मेरे घर परिवार में चर्चा होने लगी 

कैसे करना है" गिराने का ￶खर्चा "सोचने लगी ।


आखिर,को़ख में एक भयानक हादसा हुआ

दो रिश्तों में तब एक बड़ा फ़ासला हुआ ।


खून से लथपथ उस लाश को गिराया गया

ज़िंदा अरमानों को बिन कफ़न के दफनाया गया ।


बस फिर बेखौफ़ एक कत्ल हो गया  

"को़ख"शब्द शर्म से लाल हो गया ।


सुनो ! अब क्या राज़ है इस कत्ल ए दास्तां का

कातिल दो नहीं,तीन थे एक "नन्हीं" जां का।


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