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सुनो ! अब क्या राज़ है इस कत्ल ए दास्तां का कातिल दो नहीं, तीन थे एक "नन्हीं" जां का। सुनो ! अब क्या राज़ है इस कत्ल ए दास्तां का कातिल दो नहीं, तीन थे एक "नन्हीं" ...
सुनो ! अब क्या राज़ है इस क़त्ल ए दास्तां का क़ातिल दो नहीं, तीन थे एक "नन्हीं" जां का। सुनो ! अब क्या राज़ है इस क़त्ल ए दास्तां का क़ातिल दो नहीं, तीन थे एक "नन्हीं...
आखिर कहाँ बेटी को उसका घर महफूज़ मिला है ? आखिर कहाँ बेटी को उसका घर महफूज़ मिला है ?