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neha goswami

Drama

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neha goswami

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कान्हा की प्रीत, साँची प्रीत

कान्हा की प्रीत, साँची प्रीत

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तेरे आशीर्वाद की ले कर नाव

चली हूँ करने इस भवसागर को पार,

नहीं मोल तेरे बिना ज़िंदगी का

मेरे विश्वास की रखना तुम लाज।


पथराई आँखों में नूर हो तेरा

दूर हो अज्ञानता का अँधेरा,

तेरे प्यार का दीपक जगता रहे

न हो कभी कपटता का बसेरा।


मन का स्नेह करूँ मैं अर्पण

यह दुनिया है तुझसे ही पूर्ण,

पावनता की मूरत तुम हो

कर दो निर्मल मेरा भी मन।


न चाहूँ महल या सोना

चाहूँ बस तेरी ही होना,

सीखी है जीवन से यह सीख

तेरे संग ही हमारी साँची प्रीत।।


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