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Shakuntla Agarwal

Drama

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Shakuntla Agarwal

Drama

कुमार्य

कुमार्य

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मैं ख़ास नहीं आम हूँ,

आम ही रहने दो,

दुनिया में आयी हूँ अगर,

पाक साफ़ ही रहने दो !


मुझमें सीता का सा धैर्य नहीं,

अग्नि परीक्षा दूँ !

धोबी के कहने पर बनवास सहूँ !

सीता का सा सामर्थ्य भी नहीं,

लव - कुश को वन में जनूँ !

मैं ख़ास नहीं आम हूँ,

आम ही रहने दो !


मीरा की सी शक्ति नहीं और भक्ति नहीं,

जो ज़हर को अमृत कर दूँ !

भगवान के नाम पर भी,

दुनिया के तंज सहूँ !

मैं ख़ास नहीं आम हूँ,

आम ही रहने दो !


मुझमें अहिल्या का सा धीरज नहीं,

शाप से पत्थर बन जाऊँ !

सदियों बाद राम के चरणों,

अपना उद्धार करवाऊँ !

मैं ख़ास नहीं आम हूँ,

आम ही रहने दो !


तुम भी राम नहीं,

मैं भी कोई सीता नहीं !

तुम भी गौतम नहीं,

मैं भी अहिल्या नहीं !

इन तकिया - कलामों को

शास्त्रों में रहने दो !

मैं ख़ास नहीं आम हूँ,

आम ही रहने दो !


मत तोलो मुझे,

परीक्षणों के तराज़ू में,

ये सतयुग नहीं कलयुग है ज़नाब,

कि मैं तुम्हारी कसौटी पर

खरी उतर पाऊँ !


"कुमार्य" परिक्षण करवाकर भी,

पाक साफ़ रह जाऊँ !

मैं ख़ास नहीं आम हूँ,

आम ही रहने दो !


मत करो कुछ ऐसा,

कि कलंकिनी कहलाऊँ !

कलंकित होकर के,

इस दुनिया में न रह पाऊँ !


दुनिया का काम है कहना,

उन्हें कहने दो !

तुम मुझे पाक साफ़ ही रहने दो !

मैं ख़ास नहीं आम हूँ "शकुन",

मुझे आम ही रहने दो !


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