जिंदा है वो
जिंदा है वो
सड़क के एक ओर बैठी
वो काली सी छाया,
वो प्रौढ़ औरत
न जाने कब से
जिंदा है वो।
मेरी मुलाकात हर रोज
अधखुले मटमैले बदन को
न देख कर देखता तब लगता है
जिंदा है वो जिंदा है वो।
सड़क के एक ओर बैठी
वो काली सी छाया,
वो प्रौढ़ औरत
न जाने कब से
जिंदा है वो।
मेरी मुलाकात हर रोज
अधखुले मटमैले बदन को
न देख कर देखता तब लगता है
जिंदा है वो जिंदा है वो।