तुम अब भी वही हो।
तुम अब भी वही हो।
मेरी जरूरत का हर सामान तुम खोजती थी
मुझे शर्ट, टाई, रुमाल घड़ी कुछ न मिले
लाकर तुम गुस्से से मुस्कुरा कर देती थी।
उस दिन चोट आयी थी ऑफिस से आते हुए
तुमने सर पर घर को उठा लिया था।
बॉस को फोन कर क्या क्या सुनाया था
तुम तब मानी जब पता चला कि वो खून
मेरा नहीं रास्ते मे किसी राहगीर का था।
तब तुमने मुस्करा कर जो गले लगाया था
उसका एहसास एक बार फिर पाना चाहता हूं।
तुम पास हो मेरे बेड के
पर हाथ-पैरों ने काम करना बंद कर दिये मेरे
तुम्हें रोते देख कर आग लगी है जिगरे में
बस तुम्हारी तस्वीर ही ला पाया उस घर से
जिसे हमने तुम्हारे लिए बनाया था
मिस यू मेरी...जिंदगी...