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विवेक यशस्वी

Inspirational

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विवेक यशस्वी

Inspirational

मेरी माँ

मेरी माँ

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सुबह उठी होगी

रात तक चल रही होगी

मेरी माँ।


मेरे छोटे कदमों को बड़ा कर

अपने सपनों को छोटा कर दिया

मेरी माँ ने।


सुबह सूरज से पहले उठती है

रात के बाद सोती है

मेरी माँ।


मुझसे उम्मीद करती

अच्छा हूँ मैं

उसका बेटा हूँ मैं

मेरी माँ।


कपड़े उसके गंदे दिन भर रहते है

पर हमें साफ पहना कर

सूखे पे लिटाया

मेरी माँ चाहती है

बड़ा हो जाऊं

इसलिए रात भर निहारती है

मेरी माँ।


कहते है खुदा नहीं आ सकता है

जमीन पे

तो मैं कहता खुदा है

मेरी माँ।


आजकल थोड़ा जवाब देने लगा हूँ

कहती है मेरी माँ

कुछ नहीं हैरान हूँ

ऐसा कैसा हूँ सोचती है

मेरी माँ।



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