STORYMIRROR

विवेक यशस्वी

Others

3  

विवेक यशस्वी

Others

मैं कुछ नहीं।

मैं कुछ नहीं।

1 min
224

मैं कुछ नहीं एक खाली आसमान हूं 

बिखरी हुए दूर तलक फैले बादल को निहारते किसान का विश्वास हूं

कभी एक बूंद गिरी तपती हुई जमीन पर उस जमीन से उड़ती हुई गंध का एहसास हूं

मैं कुछ नहीं एक खाली आसमान हूं।


मैं कुछ नहीं एक वीरान मैदान हूं

दूर तक फैले घास की कोमलता के हरे पन का अंदाज हूं

अपनी ममता की परीक्षा को पूरा करते गौरैयों का तिनका चुनने और जोड़ने का हुनर हूं।

मैं कुछ नहीं एक वीरान मैदान हूं।


Rate this content
Log in