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Bikramjit Sen

Abstract Drama

4.5  

Bikramjit Sen

Abstract Drama

नज़रें, चुभ जाती हैं

नज़रें, चुभ जाती हैं

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207


नज़रें, चुभ जाती हैं

कोई और बात

कहनी थी

दिल को मेरे

कोई और बात

कह जाती हैं


नज़रें, चुभ जाती हैं

होंठों से न कहके

कह दिया हो जो आँखों से

वह हमेशा दिल ही

दिल में रह जाती हैं


नज़रें, चुभ जाती हैं

कोई और बात

कहनी थी

दिल को मेरे

कोई और बात

कह जाती हैं


नज़रें, चुभ जाती हैं

यकीन न हो

तोह उठा लो

मोहब्बत का वो पन्ना

जो पलटें हो गए बरसों

देख के कुछ देखें कुछ

ऐसी गल्लां कर जाती हैं


नज़रें बहुत कुछ

कह जाती हैं

अपना ये

बिन कुछ कहे भी

कर जाती हैं

नज़रें बिन बोले


बहुत कुछ बोल जाती हैं

बाद में

वो नज़रें

याद आती हैं

मुलाकात जिनसे

अब मुमकिन नहीं

उनकी याद दिलाती हैं

नज़रें, चुभ जाती हैं


कोई और बात

कहनी थी

दिल को मेरे

कोई और बात

कह जाती हैं

नज़रें, चुभ जाती हैं।


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