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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Inspirational

तुम्हारे प्यार का आभार

तुम्हारे प्यार का आभार

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रहे न रहे साथ ,  

तन ये हमारा।

रहेगा सदा साथ,

मगर मन तो हमारा।


न था लेश भी ज्ञान,

न थी तनिक शक्ति।

तब संगति ने दी हर,

समस्या से मुक्ति।

न तब साथ होता,

तो फिर राम जाने।

न जाने क्या होता?

होता जगत में कैसे,

तुम बिन मेरा गुज़ारा।


मुझे जो मिला प्यार,

न था काबिल मैं उसके।

समझ न थी इतनी तो,

किए भी गुनाह थे जम के।

की आपने माफ हर,

 एक गलती हमारी।

प्रभु और तुम्हारा रहूं,

 मैं दिल से आभारी।

मिले फिर जनम जो,

 जग में आऊं दोबारा,

है प्रभु से ये विनती ,

साथ मिले फिर तुम्हारा।



रहे न रहे साथ ,  

तन ये हमारा।

रहेगा सदा साथ,

मगर मन तो हमारा।


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