दूब सी औरते
दूब सी औरते
मन की
उथलपुथल को
खामोशी के निर्वात में
रखती हुई,
अपने दुख में भी
सुकून ही ढूंढती हुई
कुछ औरतें
खुद को उस दूब जैसी
मान लेती हैं
जिसको पैरों तले
कुचला जाना
या धार्मिक अनुष्ठानों में
शामिल होना
बदा है।
ये औरतें
सब सच जानती हैं
लेकिन अक्सर
अपनी इस ओढ़ी हुई
मासूमियत के नकाब में
छिपा लेती हैं अपना
सारा गुबार।