मद्धम बहती शीतल बयार विहग चहकना मन भिगोती। मद्धम बहती शीतल बयार विहग चहकना मन भिगोती।
कोई है दल हारता यहाँ कोई दल है जीतता यहाँ। कोई है दल हारता यहाँ कोई दल है जीतता यहाँ।
मासूमियत के नकाब में छिपा लेती हैं अपना सारा गुबार। मासूमियत के नकाब में छिपा लेती हैं अपना सारा गुबार।
"संभावनाओं के बीज".. अंकुरित होंगीं आशाएं.. फिर..उगेगी "प्रेम-दूब" "संभावनाओं के बीज".. अंकुरित होंगीं आशाएं.. फिर..उगेगी "प्रेम-दूब"
यह जो बरगद का पेड़ तना है - ना जाने कब से यूं ही खड़ा है थकता नहीं यह! यह जो बरगद का पेड़ तना है - ना जाने कब से यूं ही खड़ा है थकता नहीं यह!
बिन बताये सिर्फ बातों में लगाये वस्त्र सारे कर चुकी तन से अलग वो डाँटती पुचकारती बहला रही है न... बिन बताये सिर्फ बातों में लगाये वस्त्र सारे कर चुकी तन से अलग वो डाँटती पुचक...