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Shakuntla Agarwal

Abstract Others

4.6  

Shakuntla Agarwal

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"चलो उठो सजो प्रिय"

"चलो उठो सजो प्रिय"

1 min
334


     चलो उठो सजो प्रिय

    तुम्हें बहुत दूर जाना है

     अपनी सजी देह का 

      मातम मनाना है

      पीड़ा अपनी छुपा

     लबों से मुस्कुराना है

    चलो उठो सजो प्रिय

   तुम्हें बहुत दूर जाना है

  जिस आंगन गुड़ियों से खेली

   वो आंगन छोड़ जाना है

 अपनी इच्छाओं का दमन कर

  दूजा घर-आंगन बसाना है

      धीर-गम्भीर बन

   घर की रीत निभाना है

 पीड़ा अपनी छिपा मुस्कुराना है

     चलो उठो सजो प्रिय 

    तुम्हें बहुत दूर जाना है

     अपनी सजी देह का

      मातम मनाना है

   वादा किया जो हिय से

     वो वादा निभाना है

    डोली खड़ी सजी द्वारे

   भरे मन से थापे लगाना है

     घड़ी विदाई की आई

     खिल अंजलि में भर

    माँ की झोली सजाना है

     नैना डबडबाये मगर

       मुस्कुराना है

     चलो उठो सजो प्रिय

      बहुत दूर जाना है

      अपनी सजी देह का

       मातम मनाना है

      चलो उठो सजो प्रिय

       बहुत दूर जाना है

    हिदायतें पापा ने जो दी

     उन्हें अमल में लाना है

      माँ ने जो सीख दी

    उन्हीं से जीवन बिताना है

     भैया ने जो समझाया 

    पिया का घर अब है तेरा

     अब ये घर बेगाना है

      डोली पे तू जा रही

      अर्थी पे ही आना है

  मां के दूध का कर्ज चुकाना है

     कलेजा मुंह को आ रहा

       मगर मुस्कुराना है

     चलो उठो सजो प्रिय 

       बहुत दूर जाना है

      अपनी सजी देह का

       मातम मनाना है

      चलो उठो सजो प्रिय

      बहुत दूर जाना है | 

   



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