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Shakuntla Agarwal

Abstract Inspirational

4  

Shakuntla Agarwal

Abstract Inspirational

"जिन्दगी"

"जिन्दगी"

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 जिन्दगी इठलाती इतराती,

 मिली राह में मुझको,

  मैंने उसे टोका,

 हाथ पकड़ रोका,

 तुम छलती जा रही हो

अपनी जीत का जश्न मना रही हो,

उसे मेरी तकदीर बता रही हो,

    वह मुस्कुराई,

  भाग्य भरोसे बैठे हो, 

    सपने सजा रहे हो,

नये-नये कयास लगा रहे हो,

  मुझ पर दोषारोपण कर,

 स्वयं को निर्दोष बता रहे हो,

   मेरा काम है छलना, 

   छलती ही जाऊंगी,

दिनों दिन ढलती ही जाऊँगी,

  ढलती जवानी से सीखो,

  अपनी ख्वानी से सीखो,

   जब सीख जाओगे,

   तब समझ पाओगे,

    मेरा नाद,

    मेरा वाद,

    मेरा प्रमाद,

"शकुन" मेरा विषाद ||



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