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ritesh deo

Abstract

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ritesh deo

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हमसफर है

हमसफर है

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कभी कोई हमसफ़र मिले

तो मुझे ऐसा मिले

जो मुझे चारदीवारी में अपनाकर

छोड़ जाने के बजाए

सबके सामने मुझे अपना कह सके


बदनामी देकर छोड़ जाने की जगह

इज़्ज़त देकर अपने साथ

ज़िंदगी भर के लिए रख सके


मुझे नादान समझ कर

छोड़ जाने की जगह

मेरी हर नादानी को

होशियारी में बदल सके


मुझे कमजोर समझ कर

छोड़ जाने की जगह

मेरी हर कमज़ोरी को

ताक़त में बदल सके


चाहे लाख सताऊं

फिर भी मुझे छोड़

कहीं और ना जाए


कभी कोई हमसफ़र मिले

तो मुझे ऐसा मिले

वरना

श्री कृष्ण के अलावा

कभी कोई हमसफ़र ही ना मिले।


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