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श्याम मोहन नामदेव

Abstract

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श्याम मोहन नामदेव

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हमारा वतन

हमारा वतन

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स्वर्ग से सुंदर वतन हमारा, हम को इससे प्यार है।

तनमनधन सर्वस अर्पण है, वतन पे जान निसार है।। 


एक सजग रहता सीमा पर, जो करता है रखवाली।

दूजा करता खेतों में श्रम, रहे ना थाली खाली।।

यहां किसान जवान देश के, उन्नति के आधार हैं।। 

स्वर्ग से सुंदर वतन हमारा, हम को इससे प्यार है।।


गंगा यमुना सिन्धु बेतवा, इसकी महिमा गाती हैं।।

अपनी कलकल की ध्वनि से, गौरव गान सुनाती हैं।। 

उत्तर दिशि में खड़ा हिमालय, बन कर पहरेदार है।

स्वर्ग से सुंदर वतन हमारा, हम को इससे प्यार है।।


समता ममता और एकता, इसने ही बतलाई थी। 

इसने ही भाई चारा अरु, मानवता सिखलाई थी।।

सच पूछो तो सकल विश्व ही, हम सबका परिवार है।

स्वर्ग से सुंदर वतन हमारा, हम को इससे प्यार है।।


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