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श्याम मोहन नामदेव

Classics

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श्याम मोहन नामदेव

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श्रद्धांजलि

श्रद्धांजलि

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अस्त हुआ साहित्य जगत से,

मधुशाला का मतवाला।

रिक्त लगा  होने  मानो, 

मदिरा का जैसे प्याला।।


स्वयं नहीं पी लेकिन फिर भी, 

पिला सभी को मस्त किया।

बना काव्य की मधुमय हाला,

खुद  बन  साक़ी मधुबाला।।


नहीं  भूल  पाएंगे  जन, 

सुरा  मधु  मदिरा  हाला।

जब तक रहेंगे पीने वाले, 

तब तक  रहेगी मधुशाला।।


पुण्यतिथि पर  मानो जैसे,

झूम  उठी  हो  मधुशाला।

नाच उठी हो आज मगन हो,

निश्चय  ही  साक़ी बाला।।


नहीं चढ़ाए आज किसी ने,

श्रद्धा के दो चार सुमन।

लेकिन मधु रस मर्मज्ञों ने,

किए समर्पित मधु प्याला।।


जब दो चार रसिक मिल बैठे,

मदिरालय के  आंगन में।

श्रद्धांजली समर्पित कर तब,

गूंज  उठेगी  मधुशाला।।


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