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श्याम मोहन नामदेव

Romance

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श्याम मोहन नामदेव

Romance

मुहब्बत निभाना

मुहब्बत निभाना

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भले ही सताये तुझे ये जमाना।

कभी न अकेला मुझे छोड़ जाना।।


कभी थी न दोषी, मोहब्बत हमारी,

हमारी तुम्हारी कहानी सुनाना।।


न डरकर जमाने-सितम छोड़ देना,

कहेंगे न आया मुहब्बत निभाना।।


जलाया चिरागे-मुहब्बत था हमने,

उसे आंधियों के कहर से बचाना।।


भले ही छिपे हों लगातार संकट,

मगर तुम न राहों में कांटे बिछाना।।


कभी न हराये अंधेरा उजाला,

हृदय देहरी पर चिरागा जलाना।।


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