मुहब्बत निभाना
मुहब्बत निभाना
भले ही सताये तुझे ये जमाना।
कभी न अकेला मुझे छोड़ जाना।।
कभी थी न दोषी, मोहब्बत हमारी,
हमारी तुम्हारी कहानी सुनाना।।
न डरकर जमाने-सितम छोड़ देना,
कहेंगे न आया मुहब्बत निभाना।।
जलाया चिरागे-मुहब्बत था हमने,
उसे आंधियों के कहर से बचाना।।
भले ही छिपे हों लगातार संकट,
मगर तुम न राहों में कांटे बिछाना।।
कभी न हराये अंधेरा उजाला,
हृदय देहरी पर चिरागा जलाना।।

