मातु वन्दना
मातु वन्दना
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मंगला काली कराली, दुर्गा क्षमा शिवा धात्री।
महामाया दुर्गा रूपम, बुद्धिबल अधिष्ठात्री।।
चंडिका चामुण्डका, चंद्रघंटा महामते।
काली कंकाली कपाली, स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।
रक्तवस्त्रा गौरवर्णम, हास्यते मुख मण्डला।
केहरी वाहन विशालम, शक्तिरूपा अतिबला।।
रक्तबीज विनाशाय, कालीरूपम धारिणी।
धर्म पुनरोत्थान हेतु, रजनीचर संहारिणी।।
विश्व विजया चरण में, तेरे मेरा शतशत नमन।
धर्म की रक्षार्थ माता, ले यहां फिर अवतरण।।
दुष्ट जन संहार कर, हो धर्म की स्थापना।
हो सत्य त्रेता की धरा पर, फिर प्रबल संभावना।।
