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श्याम मोहन नामदेव

Classics

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श्याम मोहन नामदेव

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आत्मकथ्य

आत्मकथ्य

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जब जग की विषम वेदनाओं, 

ने दिल मेरा छलनी कर डाला।


तब हृदयांचालकी भावभूमि पर, 

प्रकटी  काव्यमयी  हाला।।


जिसको कागज पर उतारता, 

मैं  साहित्यक  मतवाला।


ये ही है साकेत मेरा और,

ये ही मेरी मधुशाला।।


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