प्रेम
प्रेम
पंछी रे, प्रेम बड़ा अनमोल।।
प्रेम अनश्वर प्रेम अमर है, प्रेम ही इस जीवन का समर है।
प्रेम ही हैं गिरी पर्वत सारे, प्रेम ही नदियां प्रेम सगर है।।
प्रेम का रस तू घोल, प्रेम बड़ा अनमोल।।
प्रेम कर्म है प्रेम धर्म है, प्रेम प्रकट है प्रेम मर्म है।
प्रेम ही है व्यवहार जगत में, प्रेम मृत्यु है प्रेम जन्म है।।
प्रेम से ही सब तोल, प्रेम बड़ा अनमोल।।
प्रेम योग है प्रेम भोग है, प्रेम ही जीवन का सुयोग है।
प्रेम से ही है ज्ञान उजाला, प्रेम मूर्खता का कुयोग है।।
प्रेम की आंखें खोल, प्रेम बड़ा अनमोल।।
प्रेम ही जीवन प्रेम ही शक्ति, प्रेम ही जपतप प्रेम ही भक्ति।
प्रेम बिना नहीं कुछ इस जग में, प्रेम ही बंधन प्रेम ही मुक्ति।।
प्रेम से कुछ तो बोल, प्रेम बड़ा अनमोल।