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Meera Parihar

Abstract

4.2  

Meera Parihar

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बसंत और पक्षी

बसंत और पक्षी

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435


मेरे अंगने पेड़ नीम का चिड़ियां चूँचूँ करती हैं।

टीकू,चीकू करती रहतीं, मुंह में दाना धरती हैं।।


बच्चे चोंच खोल मम्मी से, खाना झटपट हैं खाते।

कोई कीड़े लाकर अपने बच्चों को खुश करती हैं।।


फुदक फुदक डाली- डाली अपनी- अपनी हैं कहती।

मेरे अंगने मधु मालती छिप कर उसमें रहती हैं।।


मेरे अंगने पेड़ आम का, कुतर आम मीठे चखतीं।

कुछ खायें कुछ गिरा ज़मीं पर बरवादी करती हैं। ।


मेरे अंगने बेल अंगूर, जब गुच्छों से है भर जाती।

पकने से पहले ही अपनी मौज गिलहरी करती हैं।।


मेरे अंगने पेड़ बिहीं का, मौसम में फल जब लगते।

जाने कितनी उम्मीदें अनगिन जीवों की पलती हैं।।


मीरा उनको देख, चुहुक- कुहुक जब नकल करे।

मौन कभी रखकर वाणी में, अमृत सा रस भरती हैं।।


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