"शुकराना"
"शुकराना"
ऐ मेरे मालिक तेरा शुकराना
पग - पग पे सम्भाला बहुत
मेरी ही झोली फटी रही
तूने तो नवाजा बहुत
बूंद बन गर्भ में आई
उस बूंद को जीव बनाया
अन्धेरी गुफा को
रहने-खाने लायक बनाया
मन घबराया, राम रटन लगाया
ऐ मेरे दाता, अन्धेरी गुफा से
दुनिया में ले आया
मैं ही मुढ़ तुझे भूली
तुमने तो हर कदम साथ निभाया
ऐ मेरे मालिक तेरा शुकराना
पग -पग पे सम्भाला बहुत
अटकी अगर मझधार में
खिवैया बन, लहरों से बचाया
तेरी तो रहमत दिन रात बरसी
मैं ही नादान नहीं समझी
"
मैं" को हथियार बनाया बहुत
ठोकर लगी, औंधे मुंह गिरी
ऊँगली पक़ड़, आगे बढ़ाया बहुत
ऐ मेरे मालिक तेरा शुकराना
पग -पग पे सम्भाला बहुत
ताउम्र उलझनों ने घेरा
कहीं नज़र नहीं आया सवेरा
आशा की किरण साथी थी
मन में एक आस थी
फिर भी मैं उदास थी
आस ने ढ़ाढस बंधाया
"शकुन" की डूबती नैया को
पार लगाया
तेरे सहारे ने मंजिल तक पहुंचाया
ऐ मेरे मालिक तेरा शुकराना
पग -पग पे सम्भाला बहुत
मेरी ही झोली फटी रही
तुमने तो नवाजा बहुत
ऐ मेरे मालिक तेरा शुकराना।।