Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

ritesh deo

Abstract

4  

ritesh deo

Abstract

नजर की वासना

नजर की वासना

1 min
332


वासना है तुम्हारी नजर ही में तो मैं क्या क्या ढकूं,

तू ही बता क्या करूं के चैन की जिंदगी जी सकूं।।


साडी पहनती हूं तो तुझे मेरी कमर दिखती है

चलती हूं तो मेरी लचक पर अंगुली उठती है।।


दुप्पटे को क्या शरीर पर नाप के लगाउ मै।

कैसे अपने शरीर की संरचना को तुमसे छुपाउ मैं ।।


पीठ दिख जाए तो वो भी काम निशानी है।

क्या क्या छुपाउ तुमसे 

तुम्हारी तो मेरे हर अंग को देख के बहकती जवानी है।।


घाघरा चोली पहनू तो स्तनो पर तुम्हारी नजर टिकती है,

    पीछे से मेरे नितंम्बो पर तेरी आंखे सटती है ।।


केश खोल के रखू तो वो भी बेहयाई है।

क्या करे तू भी तेरी निगाहों मे समायी काम परछाई है।।


हाथो को कगंन से ढक लूं चेहरे पर घुंघट का परदा रखलूं

किसी की जागिर हूं दिखाने के लिए अपनी मांग भरलूं।।


पर तुम्हे क्या परवाह मैं 

किसकी बेटी किसकी पत्नी किसकी बहन हूं।

तुम्हारे लिए तो बस 

तुम्हारी वासना को मिलने वाला चयन हूं।।


सिर से पांव के नख तक को छुपालूंगी 

तो भी कुछ नहीं बदलेगा,

तेरी वासना का भूजंग तो नया बहाना 

बनकर के हमें डस लेगा।


Rate this content
Log in