इच्छा
इच्छा
साँसों की जरूरत है जैसे की धुन पर
खतों को पढ़ते हुए बरसों गुजर गए,
अब तुम्हारी आँखों को पढ़ने की इच्छा है।
यादों के सहारे जीते हुए बरसों गुजर गए,
अब तुम्हारे साथ ही जीने की इच्छा है।
कदमों के निशानों पर चलते हुए बरसों गुजर गए,
अब तुम्हारे साथ ही चलने की इच्छा है।
अपने -अपने ख़्वाबों को जीते हुए बरसों गुजर गए,
अब साथ -साथ एक ही ख़्वाब जीने की इच्छा है।
मैं और तुम कहते हुए बरसों गुजर गए
अब हम बनने कहने की इच्छा है।