पिजरे का पक्षी
पिजरे का पक्षी
आसमान में उड़ने की चाहत है
मगर सोने के पिंजरे में कैद हूं
मिल रहा खाना पानी
फिर भी दिल से बेचैन हूं
खुला आसमान हरियाली मुझे पंसद
कल कल करते झरने,नदियां मनभावन
इंसान मुझे खुला छोड़ दो
मैं ईश्वर की अनमोल देन हूं
पिंजरे का पक्षी बन दिल दिमाग से कैद हूं.।
