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Punya Jain

Abstract Drama Others

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Punya Jain

Abstract Drama Others

आम सी लड़की

आम सी लड़की

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बचपन से सबकी लाड़ली पर फिर भी हो जाती है पराई

सब चीज़ों में रहती आगे फिर भी एक आम सी लड़की


कोशिश करती सब में अव्वल आने की

फिर भी रह जाती एक आम सी लड़की


हक़ीक़त में रहने वाली सपने कभी देखे नही

दूसरों की खुशी में खुश हो जाती खुद के गम कभी जाने नही


दिल में हमेशा नया सीखने की चाहत

अलग ही नज़रीयें से दुनिया देखती थी

खुद को हर रंग में रंग देती यह एक आम सी लड़की थी


ज़िंदगी एक पहेली है जिसे सुलझाते सुलझाते खुद ही उलझ गई  

ना किसी से उम्मीद ना किसी से शिकायत थी


मुस्कुराहट जैसे दिल खुश कर दे पर उसके आँखों में नमी थी

अकेले में खुद से लड़ती थी

सबको हँसाती फिर भी खुद अकेली थी एक आम सी लड़की थी


न जाने कौन सी शक्ति थी बिखर के भी नहीं बिखरती थी वो

गम तो उसे भी थे बस किसी को सुनाती नहीं थी वो

उसका साया उसका हमसफ़र था और दूसरों की हँसी में खुश है वो

न जाने कितने बोझ लिए घूमती थी वो


ज़िंदगी का नाम है चलते रहना तो बस

चलती जा रही थी यह एक आम सी लड़की


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