कशमकश
कशमकश
सबसे छोटी सबकी दुलारी थी वो,
हसी जिसकी खुशी की लहरें,
नादानियाँ उसकी सबको भाती।
जिंदगी की राह खुद बनाती,
आज अटक गई है वो।
छोड के औँरो को,
अपने आप में सीमट गई हैं।
जिसके आने से,
खुशी की महक छलक्ती,
आज उसी की आँखें नम हुई हैं।
सबसे छोटी सबकी दुलारी थी वो,
हसी जिसकी खुशी की लहरें,
नादानियाँ उसकी सबको भाती।
जिंदगी की राह खुद बनाती,
आज अटक गई है वो।
छोड के औँरो को,
अपने आप में सीमट गई हैं।
जिसके आने से,
खुशी की महक छलक्ती,
आज उसी की आँखें नम हुई हैं।