वीरह का किस्सा
वीरह का किस्सा
दोनों की आंखें हैं नम यूँ,
होंठों पर सवालों का डेरा है।
मन में है कुछ पुराने शिकवे,
और दिलों में नाराज़गी का मेला है।
है फ़िकर आज भी एक दूसरे के लिए,
फिर भी चेहरे पर गम छाया है।
बीते पलो की याद सजाये,
मन आज फिर भर आया है।
एक दूसरे की वो प्यार भरी मस्तियाँ,
होंठों पर मुस्कान लाया है।
भाई बहन के वो खट्टे मीठे झगड़े
जिंदगी न जाने किस मोड़ पर ले आई है।
नाराज़गी भरा गुस्सा एक दिन पिघल जाएगा,
जादू की झप्पी पा कर सब सुलझ जाएगा।
फिर खिल उठेगा इनकी हँसी का सिलसिला,
बीत जाएगा जब ये विरह का किस्सा।