Vishvadeep Jain

Drama

4.5  

Vishvadeep Jain

Drama

अब मैं बड़ा हो गया हूँ

अब मैं बड़ा हो गया हूँ

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अब मैं बड़ा हो गया हूँ,

वो बचपन की गलियाँ याद आती है मुझे,

वो बेरी का पेड़, वो खट्टी इमली,

सब याद आता है मुझे,

पर वापस वहाँ जा नहीं सकता,

क्योंकि अब मैं बड़ा हो गया हूँ।


वो माँ को सताना अच्छा लगता था मुझे,

वो बहन को बंदरिया बुलाना

अच्छा लगता था मुझे,

पर ये सब अब हो नहीं सकता,

क्योंकि अब मैं बड़ा हो गया हूँ।


वो पापा का गुस्सा डराता था मुझे,

पर फिर माँ का प्यार

दुलार जता था मुझे,

और वो डरना जब बहन

शिकायत कर देती पापा से,

पर ये सब अब हो नहीं सकता,

क्योंकिअब मैं बड़ा हो गया हूँ।


वो पापा ने जब साथ छोड़ दिया मेरा,

जब मुक्त हो गए वो अपनी जिम्मेदारी से,

तब लगा की कौन सिखाएगा

जिन्दगी के रंग मुझे,

तब लगा की हो गया अकेला मैं,


पर जब उठाई जिम्मेदारी

अपने परिवार की

तब लगा मुझे की

अब मैं बड़ा हो गया हूँ।


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