पहला प्यार
पहला प्यार
जब चूमा भाल था मेरा माँ ने सबसे पहली बार
सबसे प्यारा सबसे न्यारा वो ही था पहला प्यार
जब जब घोड़ा बन बाबा जी खेले खेल थे मेरे संग
लगत था हर पल वो मुझको मानो हो कोई त्यौहार
बापू जी ने प्यार से जब जब मेरे सर पर फेर हाथ
तब तब लगा अकेलेपन में भी संग है सारा संसार
मिली अपरचित इक़ लड़की थी बनकर के मेरी राधा
अद्भुत व अद्वितीय लगा मुझे वो निस्वार्थ प्रेम अपार
प्रेम और अपने पन से धागों को दे राखी का नाम
तोहफे में बहना ने बांधी देकर के थी दुआ हजार
लेकिन देखा प्यार आज का फूल से ले इक़ रात चला
तब लिखा मैंने ये ही ये प्यार नही है बस है व्यापार
अपने अपने परिवारों संग चलो मनाये प्रेम दिवस
ये ही है वेलेंटाइन हमारे है जीवन के ये ही आधार।