बेटी
बेटी
बेटी का जब से
जन्म होता है
नियमों की दीवार भी
खड़े होना शुरू
हो हो जाती
कैसे उठना है
कैसे बैठना है
कैसे चलना है
कैसे बोलना है
कैसे हँसना है
किसकिससे बात करना
किससे बात नही करना
नियमो को निभाते
निभाते घुटन सी हो
जाती ही
जिंदगी ख़ुशी नहीं
बेटियों के लिये
आँखों की नमी
बन जाती हैं।