तीन लफ़्ज़ों का नाम उसका
तीन लफ़्ज़ों का नाम उसका
तीन लफ़्ज़ों का नाम उसका,
पर लफ़्ज़ों से वो मात ना खाता है,
कोई कितना ही क़ाबिल क्यों ना हो,
उसके सामने हार जाता है।
'स' से सलीक़ा उसका हर किसी को भाता है,
सामने वाले को चुप करना,
उससे बहतर किसी को ना आता है।
'म' से मैं उसने कभी सोचा नहीं,
मेरे अपनो में वो जीना चाहता है,
अपनी खुशी का उझसे एहसास नहीं,
अपनो की खुशी में वो मुस्कुराता है
'न' से नज़रें उसकी कुछ और कहानी बताती हैं,
लफ्ज़ कुछ और कहतें हैं और निगाहें सब से मुकर जाता है।
कब तक खुद को इस तरह छुपाओगे,
अपने जज़्बातों को दरकिनार कर आगे बढ़ते जाओगे,
अपने आप से सामना करना सीख लो 'समन',
वरना आगे जाकर बहुत पछताओगे।