सर्दी टाटा, गर्मी हां-हां
सर्दी टाटा, गर्मी हां-हां
जैसे-जैसे दिन बढ़ने लगे,
सर्दी के पांव उखड़ने लगे,
हल्की हल्की धूप की तपिश,
शरीर में गर्मजोश भरने लगे।
पेड़ पोधों पे नए पते निकले,
जैसे किसी गोरी ने किया शिंगार,
फेंक दिया पुराना वस्त्र,
और पहन ली प्यार की चोली।
पांव में पहनी है पायल,
देती योवन के आने का संकेत,
बालों में बांधां है कजरा,
कर देता सूंधने वाले को नशीला।
जब मंद मंद हवा जो चलती,
जुल्फें उसके गालों को छेड़ती,
और वो गर्दन झटक के,
उनको डांटती,
और बेचारी जुल्फ
मन मसोस कर डर जाती।