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nazia alam

Drama

4.8  

nazia alam

Drama

अनमोल यादें

अनमोल यादें

1 min
463


वो ट्रैन की कुल्लर की चाय 

वह पापा की कुली से झिक झिक 

वो ट्रैन की खिड़की के पास

बैठने की भाई - बहन से लड़ाई 

२०२० में १९९० का बचपन ढूंढती हूँ।

 

हम तो वो हैं जो एंड्राइड के ज़माने में

एनालॉग में रहते हैं 

हम तो वो हैं जो इस शहर की बारिश में 

गाओं की मिटटी की खुश्बूं को ढूंढते हैं 

हम तो वो हैं जो नए नोटों से 


पुरानी खुशियां खरीदने की कोशिश करते हैं 

 पुरानी खुशियां जो खट्टे इमली खाने में थी 

पुरानी खुशियां जो अम्मी की लोरी में थी 

पुरानी खुशियां जो दोस्तों के साथ खेले पिट्टो में थी 

वो किस्से, वो कहानियां, वो गुज़रा बचपन,

लौट के तो न आएंगे।

 

पर यादों का समंदर बनकर 

आस पास की लहरों से टकराएंगे। 


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