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nazia alam

Drama

4  

nazia alam

Drama

अनमोल यादें

अनमोल यादें

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वो ट्रैन की कुल्लर की चाय 

वह पापा की कुली से झिक झिक 

वो ट्रैन की खिड़की के पास

बैठने की भाई - बहन से लड़ाई 

२०२० में १९९० का बचपन ढूंढती हूँ।

 

हम तो वो हैं जो एंड्राइड के ज़माने में

एनालॉग में रहते हैं 

हम तो वो हैं जो इस शहर की बारिश में 

गाओं की मिटटी की खुश्बूं को ढूंढते हैं 

हम तो वो हैं जो नए नोटों से 


पुरानी खुशियां खरीदने की कोशिश करते हैं 

 पुरानी खुशियां जो खट्टे इमली खाने में थी 

पुरानी खुशियां जो अम्मी की लोरी में थी 

पुरानी खुशियां जो दोस्तों के साथ खेले पिट्टो में थी 

वो किस्से, वो कहानियां, वो गुज़रा बचपन,

लौट के तो न आएंगे।

 

पर यादों का समंदर बनकर 

आस पास की लहरों से टकराएंगे। 


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