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Rajesh Kamal

Drama

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Rajesh Kamal

Drama

गोधूलि की बेला आई

गोधूलि की बेला आई

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भुवन भास्कर अपने रथ पर

बढे जा रहे पश्चिम पथ पर।

नभ में कैसी लाली छाई

गोधूलि की बेला आई।


पंछी लौट रहे वृक्षों पर

करते कलरव समवेत स्वर।

कोयल ने भी कूक सुनाई

गोधूलि की बेला आई।


गायों को दे सानी-पानी

चौपालों पर चले कहानी।

गाँव में कैसी रौनक छाई

गोधूलि की बेला आई।


गृहणी हर कमरे में जाकर

घर के सारे दीप जला कर।

कहे कि बच्चों करो पढ़ाई

गोधूलि की बेला आई।


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