Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

टी वी मुझे देखता है

टी वी मुझे देखता है

1 min
459


दिन भर कि किच-किच के बाद जो बंद हुआ दफ्तर

पिंजरे से छूटे पंछी सा, पहुँचा फिर मैं घर

पहुँचा फिर मैं घर, हाल क्या बोलूं भाई

पत्नी झट से चाय-नाश्ता लेकर आयी


गर्म चाय की घूँट से, जब गला हो गया तर

मैं टी वी के सामने बैठा, देखूं ज़रा ख़बर

देखूं ज़रा ख़बर, हाल जानूं दुनिया का

पहली ख़बर "कत्ल हो गया किसी लड़की का"


भाई ने "भाई" से भाई को मरवाया

सेंसेक्स का ग्राफ लुढ़क कर नीचे आया

लुढ़क कर नीचे आया लोगों का चरित्र भी

सदन में करते मार-पीट, एम एल ए - एम पी


आम आदमी त्रस्त महंगाई की मार से

चीन ढहा भूकंप से, गंगा बढ़ी बाढ़ से

गंगा बढ़ी बाढ़ से, सबका रोना देखा

रोज़ की बात है, इसमे क्या है नया-अनोखा ?


गुर्रा कर टी वी ने जैसे मुझको देखा

ये सच था या था मेरी नज़रों का धोखा ?

"नज़रों का धोखा ?" मुझको फटकार लगाई

तू कैसा निर्लज्ज, नाकारा मानुष है भाई


लोगों को रोते देखूं तो, आंसू मुझको आते हैं

मानवता के सोते तुझमे, सूख कैसे सब जाते हैं

सूख कैसे सब जाते हैं, क्या मरा हुआ है ?

कर्मवीर का ये जीवन है, नहीं जुआ है


हाथों में रिमोट जो लूँ, मेरा मन सोचता है

मैं टी वी नहीं, टी वी मुझे देखता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy