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Devanshi Prajapati

Drama

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Devanshi Prajapati

Drama

याद आ रहा है

याद आ रहा है

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वो बचपन बहुत याद आ रहा है 

वो नादानी कितनी अच्छी थी

वो कहानियां कितनी प्यारी थी

वो चेहरे की ख़ुशी भी अनमोल थी

वो जिद भी कमाल की थी


जो माँगा वो मिल जाता था

सिर्फ मुरझाया हुआ चेहरा देखकर

गलती पे भी प्यार मिलता था

बस तब हमें जल्दी थी बड़े बनने की

आज फिर से वो बचपन याद आ रहा है।


आज फिर से नादान बनकर

घूमने की इच्छा है

आज फिर से वो कहानियां सुनकर

नींद आये ऐसी ख्वाहिश है


आज चेहरे पे सिर्फ तनाव दीखता है

वो ख़ुशी कहीं गुम सी गयी है

आज महेनत करने पर भी

वो बहोत मुश्किल से मिल रहा है।


आज ज़िम्मेदारी उठा के पता चला

इसका वज़न बाकी चीज़ों से कई ज्यादा है

आज फिर से बच्चा बनने की

ख्वाहिश हो रही है।


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