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Prathamesh Dole

Drama Abstract

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Prathamesh Dole

Drama Abstract

ये दुनिया...

ये दुनिया...

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ये दुनिया तो खामोशी ने गाया कोई यमन है 
अँधेरे मे छिप कर बैठा झिलमिलता-सा चमन है 
 
ये दुनिया है कभी राख या किस्मत की हरियाली 
ये दुनिया है मन्त्रपठन और ये दुनिया है गाली!
 
ये दुनिया है रामनाम या मस्जिद की वो धून 
दुःख के कीलो से टपकता यीशु का वो खून..!
 
ये दुनिया है ग़ालिब मोमिन ख़ुसरों का मयखाना 
ये दुनिया है तुकाराम का अभंग गाते चलना 
 
ये दुनिया है अस्पाताल में माता का चिल्लाना 
ये दुनिया है शमशानों में सन्नाटे का गाना 
 
ये दुनिया है उपन्यास और ये दुनिया है कविता 
ये है वो शब्दों का सागर जिसमें हम तुम सरीता!


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