प्रेम के परिंदे
प्रेम के परिंदे
प्राचीन काल में फ़ोन और ईमेल नहीं थे,
हरकारे दौड़ कर सन्देश ले जाते थे
बहुत समय लग जाता था रास्ते में
कभी हरकारा भी घिरता था हादसे में
समाचार पहुॅंचाना कठिन बहुत था
घोड़े, रथ, गाड़ियों का सहारा नहीं था
ऐसे में उड़ने वाले परिंदे काम आये
पक्षियों ने हजारों ख़त हर जगह पहुॅंचाये
बाज़ और कबूतर का दर्ज़ा ख़ास था
पत्र पहुॅंचाना इनका विशेषाधिकार था
शोक-हर्ष, शान्ति-युद्ध के पत्र अधिक थे
उस समय के प्रेमी भी क्या कोई कम थे
प्रेमी के पत्र भी परिंदे ले जाते थे
ध्यान से प्रेमिका के हाथ में थमाते थे
प्रेमिका का उत्तर प्रेमी को देते थे
इनाम में मनचाहे दाने चुगते थे
दूर देश की राजकन्या भी पत्र के
प्रेम से बॅंधी दूजे राज्य आ जाती थी
राजा और रानी की जोड़ी बन जाती थी
प्रेमियों के दिल की कलियाॅं खिल जाती थीं
परिंदों की परवाज़ें कमाल कर जाती थीं।