इतनी बार मिले हैं हम-तुम
इतनी बार मिले हैं हम-तुम
इतनी बार मिले हैं हम-तुम
कि मुलाक़ातें सब याद नहीं
की हैं इतनी बातें हमने कि
उनका अब कोई सार नहीं
पता नहीं कि याद है तुमको
तुमने देखा था हमें सावन में
फिर सेे सावन आया है पर
हम दोनों अब साथ नहीं
इतनी बार मिले हैं हम-तुम
कि मुलाक़ातें सब याद नहीं
राह वहीं है जिस पर तुमने
हमारा हाथ लिया था हाथों में
कहा था हमसे जुदा न होंगे
चाहे दम न रहे इन साँसों में
साँँस बची है, राह वहीं है पर
वो थामने वाले हाथ नहीं
इतनी बार मिले हैं हम-तुम
कि मुलाक़ातें सब याद नहीं
अब बस एक तमन्ना है कि
आख़िरी बार मिलो तुम हमसे
कह दो कि वो सब सपना था
जो भी तुमने तब कहा था हमसे
बस एक बार मिल जाओ तुम
फिर हमारी कोई फरियाद नहीं
इतनी बार मिले हैं हम-तुम
कि मुलाक़ातें सब याद नहीं
की हैं इतनी बातें हमने कि
उनका अब कोई सार नहीं।