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Kalpna Yadav

Abstract Tragedy

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Kalpna Yadav

Abstract Tragedy

एक पुरुष की कहानी

एक पुरुष की कहानी

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सभी लिखते हैं कहानियाँ स्त्री पर हुए अन्याय पर, 

पर क्या कभी कोई लिखता है किसी पुरुष की कहानी ?


ऐसा हमेशा नहीं होता कि बस स्त्रियाँ ही सतायी गयीं हो

कभी-कभी पुरुष को भी बहुत सहना पड़ता है 


माना वो नहीं बता पाते अपने मन की बात किसी को

नहीं कर पाते अपने दुःख को रोकर कम हमारी तरह


इसका अर्थ ये तो नहीं कि किसी की बातें उन्हें बुरी नहीं लगती

बचपन से सीखते हैं वो कि पुरुष रोता नहीं है 


तो बड़े हो वो रोकर मन हल्का करना नहीं जानता

अपने दुःख को भुलाने वो उठा लेता है गलत कदम


और सभी को लगता है उसे परवाह नहीं किसी की

सब बस समझाते, धिक्कारते हैं उसे, बस उसे समझता नहीं कोई


और वो एक दिन अपना जीवन बर्बाद कर 

चला जाता हैं दूर..... बहुत दूर.... 


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