STORYMIRROR

Naresh Uniyal

Abstract

4  

Naresh Uniyal

Abstract

शहीदों की शहादत

शहीदों की शहादत

1 min
274

शहीदों की शहादत से,

ये हिन्दोस्तां चमकता है।

बनी बलिदान से मिट्टी,

इधर कण कण खनकता है।


ऐ मेरे देश के दुश्मन,

पटक ले लाख भी सर तू,

के तुझसे सौ कदम आगे,

ही हिन्दोस्तान रहता है !!


कभी बेजा नहीं जाती,

शहादत  है शहीदों की।

कि रण में खेत हो जाना,

ये आदत है शहीदों की।

कटेगा एक सर जब,


आठ दस को काट डालेंगे,

वतन पूजा, वतन सेवा,

इबादत है शहीदों की !

कि जब तक चाँद और सूरज,

जगत मे होएंगे रोशन।


करेंगे आपके भी नाम को,

तब तक सभी सुमिरन।

ए मेरे देश के वीरों,

मुझे तो नाज है तुम पर,

'नरेश' की भी तमन्ना है,

करूँ अर्पित स्वयं का तन !


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract