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Gulshan Sharma

Abstract

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Gulshan Sharma

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जाने दो

जाने दो

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जाने दो, भई जाने दो,

पाया जो तो नाच लिए,

ना पाया तो जाने दो,

कोसों भागा, जाने दो,

रहा अभागा, जाने दो,

प्रेयसी ने जब हाथ छुड़ाकर,

कहा था हमसे जाने दो,

सोचा वादे याद दिलाऊं,

फिर सोचा कि जाने दो,

मेहनत कर कर हार लिया जब,

खुदको खुदमें मार लिया जब,

धरम करम और प्रेम ने पीटा,

आखिर सीने वार लिया जब,


सोचा मैं भी हाथ उठाउँ,

मैं भी अपना खुदा बुलाऊँ,

फिर गलियों में लाशें देखीं,

नश्वर चलती सांसे देखीं,

फिर सोचा कि किसे बुलाऊँ,

फिर सोचा कि जाने दो,

कदम कदम पर फूल उगाए,

कदम कदम पर कांटे पाए,

मुझको सारे कुचल गए वो,

जितने मैंने भार उठाए,


फिर अपने बालों को नोचूँ,

मैं भी अपनी किस्मत कोसूं,

क्या हाथ लकीरें काट लूँ अपने,

फिर सोचा कि जाने दो।



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