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Gulshan Sharma

Abstract

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Gulshan Sharma

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वो मुझे देखेगा

वो मुझे देखेगा

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200

मुझे, फिर मेरी कविता एक नज़र देखेगा,

चीर देगा वो मुझे इस कदर देखेगा,


हंसेगा बहुत मुझसे कत्ल हुआ मुर्दा,

मोहब्बत से भरी जब मेरी ग़ज़ल देखेगा,


उसके सामने कैसे मतले पढूंगा प्यार के, 

एक बार घाव खुद का फिर मेरी शकल देखेगा,


गाढ़ो या जलाओ, या बहा दो पानी में, 

मरते वक़्त कहा था उसने वो मुझे देखेगा |


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