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Gulshan Sharma

Others

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Gulshan Sharma

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सुनो

सुनो

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सुनो,

हाँ आज हम साथ हैं,

बातें होती हैं तो सुनलो,

कि एक वक्त होगा जब ऐसा नहीं होगा,

जब तुम्हारे और मेरे रास्ते इतने करीब से होकर नहीं गुज़रेंगे,

तब के लिए कह रहा हूँ,

कि उस वक़्त तुम मेरी खामियों को मेरे ख़िलाफ़

गवाही मत देने देना, मत बताने देना उन्हें कि मैं बेवफ़ा हूँ।

मैं भी वैसा ही करूँगा,

मैं उस वक़्त भी तुम्हारी हर बात का जवाब ऐसे ही दूंगा,

जैसे कि अब देता हूँ,

क्या अगर किसी दिन मैं थोड़ा टूटा हुआ सा तुम्हें फ़ोन करूं,

तो क्या बस एक पल को मेरे बेकार होने को नज़रन्दाज़ कर सकते हो? और क्या तुम मुझे अनजान ना करने का वादा कर सकते हो?

मुझे पता है तुम मिलोगे नहीं, मैं ज़िद भी नहीं करूंगा पर

क्या तुम ना मिलने का कोई बेहतर बहाना बना सकते हो?

जिससे मेरे दिल को बेवकूफ़ बनाया जा सके?

सुनो, आज हम साथ हैं तो कह रहा हूँ,

क्या मुझे थोड़ी दूर और, थोड़ी देर और,

अपनी ज़िंदगी, अपने दिल, अपनी दोस्ती में जगह दे सकते हो?


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