हारे हुए दोस्त
हारे हुए दोस्त
मेरे हारे हुए दोस्त,
मत कर तुम ये कहर जाना,
कल पूछ रही थी मंज़िल पता तुम्हारा,
एक पल तो ठहर जाना।
मुझे पता है कुछ मर रहा है तुम्हारे अंदर,
तुम्हारा जज़्बा मौत से लड़ रहा है तुम्हारे अंदर,
मैं जानता हूँ सीने पे बहुत ये वजन सा लगता है,
तुम्हारा बिस्तर भी तुमहारे संग हर रात जगता है,
मैं जानता हूँ कि सांस नहीं आ रही है,
हवा भी मानो बस जीत से इश्क़ लड़ा रही है,
मुझे पता है दुनिया ज़माने के ताने हैं,
उनको तुम्हारी हार के किस्से बहुत भाने हैं,
मैं जानता हूँ तुम यहाँ से लौट जाना चाहते हो,
ये दुनिया ये महफ़िल सब छोड़ जाना चाहते हो।
मग़र मेरे हारे हुए दोस्त,
इतना लड़े हो तो थोड़ा और टिके रहना,
वो क्या है ना,
हर चहचहाती चिड़िया मुझे बता रही है,
खुशी, अब तुम्हारे पास ही आ रही है।