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Gulshan Sharma

Romance

4  

Gulshan Sharma

Romance

तुम्हारा नाम बुढ़ापे तक याद होगा

तुम्हारा नाम बुढ़ापे तक याद होगा

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यमराज से जब कुश्ती होगी,

उस अखाड़े तक याद होगा

मलाल बस ये है,

कि तुम पता नहीं कहाँ होंगी,

तुम्हारा नाम बुढ़ापे तक याद होगा।


कि फ़िर किसी नवयुवक की

एक तरफ़ा चाहत में तुम याद 

आओगी,

मेरे दोस्त कहते थे तुम आओगी,

शायद मेरे मरने बाद आओगी।


कि तब भी मेरे ज़हन में तुम्हारा

चेहरा ही सबसे साफ होगा,

मेरे चाहने वालों से मेरा ये

गुनाह ना जाने कैसे माफ़ होगा।


कि इश्क़ जब भी सुनूंगा,

ख्याल में तुम पास होगी,

इंतज़ार में घिरी एक शाम

फ़िर से रात होगी।


कि ज़िक्र महज़ में तुम्हारे तब भी

एक अलग स्वाद होगा,

मलाल बस ये है, 

तुम्हारा नाम बुढ़ापे तक याद होगा।


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